रविवार, 7 दिसंबर 2008
pakistan ka kya kare
चौराहा हो या चाय की दुकान मुद्दा है तो सिर्फ़ एक "पाकिस्तान का क्या करे " क्या भारत को हमला कर देना चाहिए तभी 5० साल का एक बुजुर्ग कहता है तुम आज के नौजवानों को कुछ नही पता जहा देखो मार पीट , खून खराबा क्या यही हमारी संस्कृति है यही सीखते है हम, हमारी सरकार अपना काम कर रही है देखा नहीं कितने मंत्रियो के इस्तीफा ले लिए है कार्यवाही चल रही है बेटा ! मगर सवाल फिर उठता है क्या हम चुप बेठ जाये......... नहीं हम चुप नहीं बेठ सकते और आज के युवाओ को जोश आता है और प्लान बनता है जंतर मंतर पर मोमबत्ती जला कर मार्च करने का बस चाचा ये तो अहिंसा और शांति है न ,इसमें तो हमारी संस्कृति को कोई नुकसान नहीं होगा चलो सब चलते है .....प्लान बने अभी कुछ ही वक्त हुआ था की तभी एक एक कर बहानो की बोछार होनी शुरू हुई यार आज नहीं आज मेरी कॉलेज की जरुरी क्लास है ! तुम सब पहुचो मैं आती हु थोडी देर मैं !अबे यार याद आया आज पापा का काम करना है नहीं तो तुम्हे पता है पॉकेट मनी नहीं मिलेगी, तभी एक बोलता है हां बे साले पैसे नहीं होंगे तो गर्ल फ्रेंड को फिल्म केसे दिखाएगा और सबका हसना शुरू ये सिलसिला तब तक चला जब तक प्याले से चाय खत्म नहीं हुई और फिर चल दिए सब अपना अपना काम करने क्या यही करे हम पाकिस्तान का !
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
4 टिप्पणियां:
बताएँगे मैडम,plz let me complete my cup of tea.
आलोक सिंह "साहिल"
bahoot khoob,
umeed hai aage bhi ye jari rahega
badhiya hai ji
Acha likha aapne. badhai.
एक टिप्पणी भेजें