रविवार, 18 अप्रैल 2010

प्यार और एहसान में क्या फर्क है ...

प्यार और उपकार में क्या फर्क है .... शायद ये भी आर्ट और अश्लीलता की बहस के बराबर है किसको क्या कहे कुछ समझ नहीं आता .... मेरे एक दोस्त ने कहा ... अपना काम होना चाहिए छोडो इस बहस को .... पर उपकार , एहसान , भीख , कहने को शब्द बड़े मजेदार है पर ,असल जिंदगी में आ जाए तो क्या से क्या हो जाए ... न जाने कितनी जिंदगी बिगड़ जाए , न जाने कितने रिश्ते टूटे है .... जहाँ ये शब्द है वहा प्यार , अपनापन , जिम्मेदारी दूर ही भागती है...कभी बाप प्यार करे तो एहसान लगत्ता है और दोस्त एहसान भी करे तो प्यार लगता है .... कौन सही है वो या हम समझ नहीं आता ....

मंगलवार, 13 अप्रैल 2010

जय झूठ बाबा की .......

गोली देना , कैप्सूल देना ,झूठ बोलना न जाने क्या क्या नाम है , पर ये सब है बड़े कमाल की चीज़......पर दोस्तों गोली देते देते परेशान हो गए है, पर क्या करे झूठ बोलना मज़बूरी हो गयी है .... सच कोई सुनना ही नहीं चाहता... चाहे दोस्तों को वक़्त पे पहुचने की गोली दे या ऑफिस में बॉस को काम पूरा करने की गोली ..... हालत ये हो गए है की एक दोस्त ने तो महान गोलीबाज का अवार्ड भी दे दिया है .... ये भाई साहब ऐसे थे जो आठ बजे पहुचने का वादा कर पहुचते थे दस बजे .... आज काम पूरा हो जाएगा बोल ...गायब हो जाते थे तीन दिन के लिए .... अब ऐसे इंसान से अवार्ड पाकर मुझे केसा महसूस हो रहा होगा आप सोच ही सकते है ....अब 24 घण्टे में से 48 घण्टे का काम निकलना कम बात थोड़े है बिना गोली क्या ये पूरा हो सकता है ऑफिस में कभी ये बोल सकते है नींद ज्यादा लेने की वजह से लेट हो गए , अब बहाना तो ट्रेफिक का ही लेना पड़ता है ..... दोस्त जल्दी पहुच गया अब केसे कहे हमे आने में २ घंटे लगेंगे १० मिनिट बोल बोल कर ही रोका जा सकता है ..... सबको नाराज करना भी गलत बात है ना जीना तो इन्ही सब के साथ है ..... तो बोलो जय झूठ बाबा की