शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2009

भावनाओ को समझो ...........


दोस्तों आजकल गाँधी जी की बहुत याद आती है ...... न जाने क्यों वो हमसे दूर होते जा रहे है उन्हें जितना कैद करने की कोशिश करो वो वो उतने कम हो जाते है अब आप ही बताइए मंदी के दौर में भला गाँधी जी से दूर रहना किसे अच्छा लगेगा ....... जेब में हाथ डालो तो शक्ल देखने को आजकल तरस ही जाते है हम अब आप ही बताइए उनके उसूलो को केसे याद कर पाएँगे......... अगर हरे हरे नोट भगवान के दरबार में न पहुचे तो वो भी नाराज रहते है क्युकी उन्हें भी गाँधी जी से प्यार है ...........अब हम तो ठहरे मामूली इन्सान !

रोज़ उनकी शक्ल देखते है जब जब हाथ में दुनिया से प्यारी चीज़ यानि रुपया होता है उसमे गाँधी जी मुस्कुराते हुए दिख जाते है मगर उनके उसूल थोड़े ही याद आते है अब कमाई तो कमाई है चाहे मेहनत से की हो या धोखाधडी से जितनी गाँधी जी की तस्वीर अपने पास रखोगे उतने गाँधी भक्त कहलाओगे ............ सच जिस दिन बोलना शुरू कर दिया समझो भाई गूंगे हो गए हम ..... क्या बोलेंगे बॉस से गर्ल फ्रेंड तो जी मार ही डालेगी और मोबाइल पर सच बोलना समझो फ़ोन की बेज्जती कर दी .... अब आप बताए भला सच बोलकर मरना थोड़े ही है ....दुनिया चाहे कुछ बोले पर हम तो अहिंसा का पालन करने वाले है चाहे घरवाले डरपोक बोले या दोस्त गाली दे ऐसे थोड़े ही किसी के साथ मारपीट की जा सकती है.... ज़्यादा से ज़्यादा हमे बंद कमरे में ही अकेले रहना पड़ेगा .....पर नोट पर छपी तस्वीर बहुत काम की है मिनटों में आपके बिगडे काम बना देती है झूठ को सच और हिंसा को अहिंसा में बदलना इस तस्वीर को बखूबी आता है बस इस्तेमाल करना आना चाहिए और नही आता तो भी कोई दिक्कत नही ये नोट वो भी सिखा देते है .......... अब आप ही बताइए जब तस्वीर से काम बन जाता है तो उसूलो के चक्कर में क्यों पड़ा जाए .........



हम पक्के गाँधी भक्त है उन्हें अपने दिल में बसा कर रखते है अपने हाथ से कभी जाने नही देते मन वचन और कर्म से उनकी पूजा की जाती है दिल में कोई खोट या ग़लत बात नही होती क्यों दोस्तों सही कहा ना ............

2 टिप्‍पणियां:

के सी ने कहा…

गांधी छाप का जादू कुछ ऐसा ही है

Sanjeev Chand ने कहा…

kya baat hai. Gandhi ji ke aalawa shastri ji koi kyo nahi yaad karta.
Sanjeev