रविवार, 18 अप्रैल 2010
प्यार और एहसान में क्या फर्क है ...
प्यार और उपकार में क्या फर्क है .... शायद ये भी आर्ट और अश्लीलता की बहस के बराबर है किसको क्या कहे कुछ समझ नहीं आता .... मेरे एक दोस्त ने कहा ... अपना काम होना चाहिए छोडो इस बहस को .... पर उपकार , एहसान , भीख , कहने को शब्द बड़े मजेदार है पर ,असल जिंदगी में आ जाए तो क्या से क्या हो जाए ... न जाने कितनी जिंदगी बिगड़ जाए , न जाने कितने रिश्ते टूटे है .... जहाँ ये शब्द है वहा प्यार , अपनापन , जिम्मेदारी दूर ही भागती है...कभी बाप प्यार करे तो एहसान लगत्ता है और दोस्त एहसान भी करे तो प्यार लगता है .... कौन सही है वो या हम समझ नहीं आता ....
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3 टिप्पणियां:
sahi kaha par pita ka pyar to kabhi ehsaan nahi lagta... :0
keep it up
'चाय की एक प्याली' नाम क्रिएटिव है।
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